सावन का महीना हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह महीना भगवान शिव की भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। सावन के सोमवार को शिव भक्त रुद्राभिषेक करते हैं और शिवलिंग पर रुद्राक्ष तथा बेलपत्र अर्पित करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सावन का महत्व
भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। इस दौरान:
- व्रत और जलाभिषेक करने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि मिलती है।
- महामृत्युंजय जाप और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायी होता है।
- इस महीने में की गई भक्ति कई गुना पुण्य देती है।
रुद्राक्ष क्या है और क्यों चढ़ाते हैं?
रुद्राक्ष को शिव के अश्रुओं से उत्पन्न माना जाता है। यह न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी शक्तिशाली है। विभिन्न मुखियों वाले रुद्राक्ष अलग-अलग लाभ प्रदान करते हैं।
- मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि।
- तनाव, क्रोध और चिंता को कम करने में सहायक।
- धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि।
- स्वास्थ्य संबंधी लाभ और रोगों से मुक्ति।
बेलपत्र का महत्व
शिव का प्रिय पत्र है। त्रिपत्री (तीन पत्तियों वाला) और पंचदलीय (पांच पत्तियों वाला) बेलपत्र विशेष पुण्य प्रदान करता है।
बेलपत्र चढ़ाने के लाभ
- मनोकामना की पूर्ति और दोष निवारण।
- पितृ दोष और कालसर्प दोष से राहत।
- शारीरिक शीतलता और विषनाशक गुण।
- शांति और समृद्धि का आशीर्वाद।
रुद्राक्ष और बेलपत्र से पूजा कैसे करें?
पूजन विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग का जल या दूध से अभिषेक करें।
- रुद्राक्ष शिवलिंग पर अर्पित करें।
- बेलपत्र पर “ॐ नमः शिवाय” लिखकर अर्पित करें।
- धूप-दीप और आरती करें।
जपने योग्य शिव मंत्र
- ॐ नमः शिवाय
- ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्…
- ॐ रुद्राय नमः
पूजन में किन बातों का ध्यान रखें?
- बेलपत्र में छेद नहीं होना चाहिए।
- चढ़ा हुआ बेलपत्र धोकर दोबारा अर्पित कर सकते हैं।
- रुद्राक्ष को पवित्र हाथों से अर्पित करें।
- पूजा मन से करें, दिखावे से नहीं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
रुद्राक्ष में विद्युत-चुंबकीय गुण होते हैं जो ब्लड सर्कुलेशन सुधारते हैं। बेलपत्र आयुर्वेद में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में मददगार है।
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